“पॉलिटीकल ड्रामे” के बीच राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता मध्यप्रदेश

Listen to this article

जनपथ टुडे, मार्च 17, 2020
भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ और राज्यपाल के बीच तनाव के बाद मध्यप्रदेश में राष्ट्रपति शासन की संभावनाएं बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में संभव है कि राज्यपाल राष्ट्रपति शासन के लिए सिफारिश कर दें। यह उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।

 

प्रदेश में राष्ट्रपति शासन का आधार

पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के 19 दिन बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। तब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के तीन प्रमुख दलों भाजपा, शिवसेना और राकांपा को सरकार बनाने का न्योता दिया था, लेकिन कोई भी दल सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं जुटा पाया। 12 दिन बाद रातों-रात राष्ट्रपति शासन हटा और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।

इससे भी पहले जून 2018 में जम्मू-कश्मीर में जब भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की। हालांकि, इसी बीच वहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया। कुल मिलाकर जब भी राज्यपाल को ऐसा लगता है कि प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता है एवं किसी भी दल के पास संख्या बल नहीं है तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन का मतलब फिर से चुनाव नहीं होगा बल्कि और राज्यपाल एक बार फिर सभी दलों को सरकार बनाने का मौका देंगे। जिसके पास 50% से अधिक विधायक होंगे वही पार्टी सरकार बना पाएगी।

पॉलिटीकल एक्सपर्ट बताते हैं कि सरकार या स्पीकर जानबूझकर फ्लोर टेस्ट नहीं कराते तो प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का कारण बताकर राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं।

 

प्रदेश विधानसभा की वर्तमान स्थिति

मध्य प्रदेश में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 230
2 विधायकों की मृत्यु के कारण सदन में विधायकों की संख्या 228
6 विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर दिया गया इसलिए सदन में संख्या 228-6=222
16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हुए या फिर वह अनुपस्थित रहे तो संख्या 222-16=206
सरकार बनाने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या 104
भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या 107
कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या 92
यदि सपा,बसपा और निर्दलीय समर्थन करें तो कुल संख्या 92+7=99

इस स्थिति में कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं बनती। यदि भाजपा के दो विधायक इस्तीफा दे दें तभी कमलनाथ सरकार को बचाया नहीं जा सकता।

फिलहाल के राजनीतिक हालात में कमलनाथ सरकार फ्लोर टैस्ट कराने के पहले सिंधिया समर्थक विधायकों की वापसी का राग अलाप रही है और किसी भी तरह फ्लोर टैस्ट के लिए राजी नहीं है, साफ सा समीकरण है कि कमलनाथ सरकार के पास बहुमत सिद्ध करने के लिए पर्याप्त संख्या है ही नहीं इसलिए कमलनाथ और स्पीकर इससे तब तक बचने की कोशिश में है जब तक बेगलुरु के विधायकों का कोई अंतिम निर्णय नहीं हो जाता। इसी तरह टीम भाजपा और राज्यपाल फ्लोर टैस्ट करा कर सरकार को संविधानिक तरीके से हटाना चाहते है और उनकी कोशिश यही कि ये जल्दी हो जाए जिससे विधायक अभी जहा है वहीं बने रहे और पाला न बदल पाए क्योंकि फिलहाल संख्या बीजेपी के पास है।

राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता सरकार को भंग करने के आसार इसलिए नहीं है क्योंकि राज्यसभा सांसदो का चुनाव इससे प्रभावित होगा जो दोनों ही दल नहीं चाहेंगे।

Related Articles

Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809 666000