सेंट्रल बैंक मैनेजर द्वारा महिला से छेड़छाड़ के मामले में महीने भर बाद भी दर्ज नहीं हुई एफआईआर, पीड़िता ने एसपी से लगाई गुहार

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 20 अगस्त 2020, जिले के गोरखपुर स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच मैनेजर रोहित श्रीवास्तव पर गोरखपुर की ही 35 वर्षीय महिला ने अश्लील हरकत और छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपना आवेदन देते हुए न्याय की मांग की है।

                    क्या है मामला ??

घटना लगभग डेढ़ माह पुरानी है पीड़िता ने लगभग एक माह पहले गाड़ासरई थाने में की थी शिकायत। पीड़िता ने घटना की लिखित शिकायत गाड़ासरई थाने में 16 अगस्त को की थी जिसमें उसने बताया था कि वह सेंट्रल बैंक की गोरखपुर ब्रांच में 1 अगस्त को जब अपने खाते से पैसे निकालने गई तब बैंक मैनेजर ने पैसे निकालने से मना करते हुए बहानेबाजी की और मुझे अपने चेंबर में बुला कर कहा कि तुम्हें जितना पैसा चाहिए मुझसे ले लो तुम्हारे खाते से ज्यादा पैसा निकालने पर तुम्हारा खाता बन्द हो जाएगा इस दौरान उनके द्वारा अश्लील बाते की गई और उसके शरीर में बुरी नियत से हाथ लगाया, जिससे पीड़िता भयभीत हो गई और रोकने की कोशिश की जिसपर उसका विवाद भी हुआ और वह डर कर अपने घर आ गई। लॉक डॉउन होने तथा साधन उपलब्ध नहीं होने से वह गाड़ासरई थाने नहीं जा सकी और वाहन की व्यवस्था कर उसने अपनी लिखित शिकायत 16 अगस्त को थाने में दी तथा घटना कि शिकायत मुख्यमंत्री शिकायत में 181 पर भी दर्ज करवाई गई। थाना प्रभारी द्वारा उसको फोन पर समझाइश दी जाती रही और जांच करने का आश्वासन दिया जाता रहा, किन्तु आरोपी के विरूद्ध मामला कायम नहीं किया गया। पीड़िता पूर्व में एसपी ऑफिस भी मामले की शिकायत करने गई थी किन्तु पूर्व पुलिस अधीक्षक द्वारा बिना आवेदन लिए उसको चलता कर दिया गया, ऐसा पीड़ित महिला का आरोप है। पीड़िता का कहना है कि उसे गाड़ासरई थाना प्रभारी फोन पर ही जांच की बात कहती रही और एक बार उसके घर पर आ कर सिर्फ उसका बयान दर्ज किया, गवाहों से पूछताछ भी नहीं की गई और पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया। इस बीच कई लोगो द्वारा समझौते की बात की जाती रही और अप्रत्यक्ष तौर पर भय और डर भी दिखाया जाता रहा। पुलिस द्वारा आरोपी पर प्रकरण दर्ज नहीं किए जाने पर पीड़िता ने न्यायालय की शरण में जाने की मंशा से अपना आवेदन वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जिसपर उसे उसके आवेदन पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से उसके आवेदन की पावती प्राप्त हुई है। अब उसे आगे न्याय मिलने तथा आरोपी के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किए जाने की उम्मीद है।

 

बैंक और पुलिस की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

पुलिस द्वारा लगभग एक माह तक जांच किए जाने और मामले की एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे है। जिले में विगत दिनों ऐसे ही आरोप एक थाना प्रभारी पर लगे थे तब कुछ ही घंटो में डिंडोरी कोतवाली में मामला दर्ज किया गया था वहीं इस मामले में एक माह से भी अधिक के समय में भी जांच पूरी नहीं होने पर सवाल खड़े होते है। थाना प्रभारी से इस संबंध में हमारे प्रतिनिधि ने जब चर्चा की तो उनका कहना था कि अभी मामले की जांच कर रही हूं। पुलिस की इस धीमी जांच प्रक्रिया के बीच ब्रांच मैनेजर रोहित श्रीवास्तव नदारत है, विगत दिनों जब हमने ब्रांच में संपर्क किया तो वहां प्रभारी का कहना था कि उनके पिता जी का स्वस्थ गड़बड़ होने से उन्हें अचानक जाना पड़ा, इसलिए शाखा का प्रभार दूसरे व्यक्ति के पास है। पिछले लगभग 15 दिनों से उक्त मैनेजर का फोन हम बंद मिल रहा था और सूत्रों का कहना है कि वे घटना के बाद से ही गायब है। इतना लंबा समय जांच में लगने से आरोपी को सबूतों से छेड़छाड़ करने, गवाहों पर दबाव बनाने, पीड़िता पर दबाव बनाने का अवसर अवश्य मिला जिससे पीड़िता बहुत डरी हुई है। पुलिस द्वारा तत्काल कार्यवाही नहीं होने से सी सी टीवी फुटेज, मौका साक्ष्य,और अन्य जरूरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं होने से आरोपी को लाभ मिल सकता हैं।


 

बैंक के अधिकारी मामले से बने अनजान, समझौते के लिए गए प्रयास

सेंट्रल बैंक की डिंडोरी स्थित मुख्य शाखा से भी हमारे प्रतिनिधि ने मामले की जानकारी लेने हेतु संपर्क किया किन्तु अधिकारी गोलमोल जवाब देते रहे और रीजनल ऑफिस शहडोल से जानकारी लेने कहते रहे। उन्होंने ब्रांच मैनेजर कहां है, छुट्टी पर है जैसे किसी भी सवाल का सीधा उत्तर नहीं दिया और इस मामले की कोई जानकारी न होने की बात कही।

जबकि इसी मामले को लेकर से सेंट्रल बैंक से संबंधित एक अधिकारी ने पीड़िता से फोन पर चर्चा कर मामले में आपसी सहमति बनाने और मामले को निपटाने की बात की गई थी। चर्चा में इस अधिकारी ने पीड़िता के एक वर्ष पुराने ॠण प्रकरण को स्वीकृत किए जाने की बात भी कही गई है जो अत्यंत संदिग्ध है यदि उक्त प्रकरण स्वीकृति योग्य था तो फिर पहले क्यों नहीं स्वीकृत किया गया और यदि स्वीकृति योग्य नहीं था तो अब उसे स्वीकृत करने का प्रलोभन क्यों दिया जा रहा है? इन सब बातो से बैंक अधिकारियों की भूमिका भी पूरे मामले में संदिग्ध नजर आती है वहीं पीड़िता द्वारा महिलाओं से उत्पीड़न के संबंध में अत्यंत गंभीर आरोप लगाए जाने के एक माह बाद भी आरोपी के विरूद्ध मामला कायम नहीं होना, एक अधिकारी को बचाने के प्रयासों का शक जरूर पैदा करता है।

लेन देन की भी है चर्चाएं है :- इस पूरे मामले की थाने में पीड़िता द्वारा शिकायत किए जाने के बाद से आरोपी बैंक मैनेजर का पता नहीं चल रहा है किन्तु उसे बचाने के नाम पर उसे कस कर कई लोगो द्वारा दुहे जाने की भी चर्चाएं आम है।

 

इनका कहना है :-

मुझे मामले में शिकायत प्राप्त हुई थी जिसकी जांच की गई थी, आवेदिका को यदि संतुष्टि नहीं है तो वह पुनः जांच हेतु अपनी कार्यवाही करने स्वतंत्र है, हमें वरिष्ठ अधिकारियों से जो भी निर्देश और मार्गदर्शन प्राप्त होंगे उसके आधार पर कार्यवाही की जावेगी।

रमा आर्मो,
थाना प्रभारी, गाड़ासरई

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