
हमीदिया अस्पताल के दर्दनाक हादसे पर: उमा भारती ने शिवराज को राजधर्म का पालन करने की दी सलाह
मुख्यमंत्री से फोन पर बात कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही की दी नसीहत
उमा के सरकार से तीन सवाल
जनपथ टुडे, भोपाल, 10 नवम्बर 2021, प्रदेश की राजधानी भोपाल के बड़े और पुराने अस्पताल में लापरवाही के चलते विगत दिनों 8 नवजातों की मौत पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से फोन से चर्चा की और आरोपियों पर सख्त कार्यवाही कर राजधर्म का पालन करने की सलाह दी है।
इसके बाद उमा भारती ने ट्वीट कर लिखा है – यह न भूलने वाला दुखद अध्याय है। इसने कई सवाल खड़े कर दिए है। इसमें जिन्होंने भी लापरवाही की है, उनको जल्द ही सख्त सजा मिलनी चाहिए। उमा भारती ने कहा कि मेरी मुख्यमंत्री से
बात हुई है। वह भी इस घटना से बहुत दुखी है।
उमा भारती ने मुख्यमंत्री को राजधर्म की नसीहत देने के साथ ही सरकार से तीन सवाल किए है :
सरकार बताए कि कमला नेहरू अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड का फायर आडिट कबसे नहीं हुआ है?
इनके मेंटेनेंस और मानिटीरिंग की जिम्मेदारी किसकी थी?
इसको जब और कितना बजट मिला है? इन तत्वों की जांच कर अपराधियों को तुरंत सजा मिलनी चाहिए।
मृतक शिशुओं के माता पिता और परिवार के प्रति मेरी अत्यधिक संवेदनाएं है उनके दुख की भरपाई नहीं हो सकती।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार की रात 8 बजे हुए इस हादसे के 24 घंटे बाद तक किसी अधिकारी पर घटना की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री ने घटना के बाद ही उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दे दिए थे। उन्होने स्वास्थ विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान द्वारा हादसे की जांच किए जाने की बात कही थी।
सीएम ने मंगलवार की दोपहर केबिनेट की बैठक में कहा कि यह बहुत गंभीर घटना है, जांच के निर्देश दे दिए गए है जो भी दोषी होगा उस पर सरकार सख्त एक्शन लेगी। हालाकि देर शाम तक जांच के आदेश मंत्रालय से जारी नहीं हुए। सूत्रों की माने तो मामले की जांच गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा को सौंपी जा रही है।
जहां घटना को लेकर विपक्ष के तेवर कड़े है वहीं भाजपा की ही नेता ने नसीहत देते हुए सरकार से सवाल किए है। भाजपा में पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात दंगो पर इसी तरह राष्ट्र धर्म निभाने की नसीहत आज भी चर्चाओं में रहती है। किन्तु इन सबसे मामले को लेकर सरकार कितने गंभीर कदम उठाएगी यह कह पाना कठिन है। मुख्यमंत्री के जांच के निर्देश के बाद भी आदेश जारी न होना। स्वास्थ विभाग के अपर मुख्य सचिव को जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाना कई सवाल अब भी खड़े कर रही है। स्वास्थ विभाग के नियम और आदेश जारी करने वाले जो आला अफसर भोपाल के अस्पताल में ही आदेशों, निर्देशों का पालन नहीं करवा पाए, भोपाल के अस्पताल का ही निरीक्षण नहीं किया वे किसको सजा देगे किसको लापरवाह साबित करेगे?
21 साल पुरानी बिल्डिंग के फायर हाइड्रेट खराब पड़े थे।
आडिट के नियम कागजों तक सीमित है।
कमला नेहरू में 15 साल से एनओसी नहीं ली गई
12 साल बाद गूंजी थी किलकारी हादसे से मिली मौत!
स्वास्थ विभाग के अधिकारी राजधानी में निगरानी नहीं कर पा रहे, मंत्रालय तक सीमित है!