लघु धान्य फसल आधारित पोषण जागरूकता माह आयोजित

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 16 सितंबर 2020, अखिल भारतीय लघु धान अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के परियोजना निदेशक निर्देशानुसार माह सितंबर 2020 से लागू धान आधारित पौष्टिकता माह जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय क्षेत्र कृषि अनुसंधान केंद्र डिंडोरी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर द्वारा विगत दिवस डिंडोरी के ग्राम शिवरी में आयोजित किया गया। इसमें डॉक्टर ओ पी दुबे द्वारा बताया गया कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कुल जनसंख्या का लगभग 25.7% गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है, और शहरी क्षेत्रों में यह 13.7% के करीब है। यद्यपि गरीबी अकेले कुपोषण को जन्म नहीं देती है, किन्तु यह आम लोगों के लिए पौष्टिक भोजन की उपलब्धता को प्रभावित कर सकती है। भोजन और पोषण की कमी के कारण उत्पन्न नहीं होती बल्कि उन में उपलब्ध पौष्टिकता की कमी से होती है देश में पौष्टिक और गुणवत्ता पूर्ण आहार के संबंध में जागरूकता की कमी दिखाई देती है, जिसके कारण पूरा परिवार पोषण का शिकार हो जाता है। शरीर को लंबे समय तक संतुलित आहार न मिलने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण वह आसानी से किसी भी बीमारी का शिकार हो सकता है। कुपोषण बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करता है, आंकड़े बताते हैं कि छोटी उम्र में बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण कुपोषण है।

डॉ दुबे ने बताया कि कुपोषण क्षेत्र में उपलब्ध कोदो, कुटकी, मडिया को भोजन के रूप में अपनाने से दूर हो सकता है। डॉक्टर दुबे द्वारा जानकारी दी गई कि कोदो कुटकी वा रागी फसलों में अमीनो अम्ल, राइबोफ्लेविन कोबेन इत्यादि विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। रागी कैल्शियम का मुख्य स्रोत है इसे गर्भवती महिलाओं व बच्चों को आहार के रूप में दिया जा सकता है। ये अनाज मधुमेह की बीमारी में भी काफी उपयुक्त पाए गए हैं क्योंकि ग्लूकोज को मनुष्य खून में धीरे-धीरे छोड़ते हैं जिससे शरीर में शक्कर की मात्रा संतुलित रहती है। इनका प्रयोग भोजन में करने से रक्तचाप और मधुमेह की बीमारी के लिए भी लाभकारी पाया गया है।

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