
इंसानियत का जज्बा किसी हाल में टूटने न पाए
सिमरिया गांव के युवाओं की सराहनीय पहल
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 22 जून 2020, लॉक डॉउन के दौरान लोगों ने परेशानी और संकट के दौर में भी इंसानियत को पीछे नहीं छोड़ा, इस कठिन दौर में जब जिसको परेशानी में देखा गया बाकियों ने उसकी बढ़ चढ़ के मदद की जो न केवल गर्व की बात है बल्कि आने वाली हमारी पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
मामला डिंडोरी के करीबी ग्राम सिमरिया का है जहां एक राजस्थान के जेसीबी मालिक द्वारा लगातार मशीन के ऑपरेटर्स का शोषण किया जा रहा था। बताया जाता है कि उनकी मशीन चलाने वाले दो युवक जो कि राजस्थान के ही रहने वाले थे उनसे काम करवाने के बाद भी न तो उन्हें उनका मेहनताना दिया जा रहा था और न ही उनको भर पेट भोजन मिल पा रहा था। जेसीबी मालिक दो रोटी और जलेबी खाने को देता था, इन परेशान और भूखे काम करने को मजबूर दोनों युवक जो मुस्लिम थे और राजस्थान से यहां काम करने आए थे, उनके लिए पूरे गांव के युवक उनके साथ खड़े हो गए और मशीन मालिक को इन लोगो के भोजन की व्यवस्था और वेतन दिए जाने का दबाव बनाया गया, जिसपर भी जब कोई बात नहीं बनी तब गांव के लोगों ने इनके खाने पीने की व्यवस्था की और इन दोनों युवकों के साथ जा के जेसीबी मालिक के खिलाफ कोतवाली डिंडोरी में मामला भी दर्ज करवा दिया।
तब से ये दोनों युवक गांव में ही रह रहे है और गांव के लोग इनके सभी इंतजाम कर रहे थे, परन्तु इन दोनों को अपने गांव लौटना था और इनके पास पैसे तो थे नहीं तो गांव के लोगो ने इनको आपस में चंदा एकत्र कर लगभग चार हजार रुपए की व्यवस्था की ताकि ये अपने गांव जा सके। इसके बाद साधन उपलब्ध न होने से गांव के युवक चार मोटर सायकल से इनको सागरटोला छोड़ने गए और वहां भी इनको राजस्थान का कोई साधन नहीं मिला तो ये लोग शहडोल के इमलाई पेपर मिल ले कर गए और वहां एक ट्रक पर इनको सुरक्षित बैठाया गया जो मथुरा जा रहा था, जहा से ये लोग राजस्थान अपने गांव जा सकें, इनको रवाना करने के बाद सिमरिया के युवक अपने गांव वापस आए।
घटना छोटी सी जो सकती है, चार हजार रुपए का आर्थिक सहयोग भी कोई बड़ी बात नहीं है पर जो जज्बा परेशान और अपने प्रदेश, घर से दूर गरीब लोगो के प्रति इस गांव के लोगों ने दिखाया और इनके लंबे समय तक खाने पीने की व्यवस्था की गई और उनको अमलाई तक जा कर पूरी तरह आश्वस्त होकर कि अब ये अपने घर पहुंच जायेगे परेशान नहीं होगे, बेहद सराहनीय कार्य है।इन्हीं छोटे छोटे प्रयासों से इंसानियत जिंदा है जिसके रास्ते में जाति और धर्म कभी विघ्न नहीं बन सकता। हर किसी को अपनी हैसियत अनुसार गरीब, कमजोर, परेशान व्यक्ति का सहयोग करना ही फर्ज है। सिमरिया के इन युवाओं को बहुत बहुत साधुवाद इनकी जितनी प्रसंशा की जावे कम है।
इस गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा रखे जाने की कोशिश में अशोक सरैया, विजय कुमार ठाकुर,भीम ठाकुर, सालिगराम ठाकुर, प्रहलाद ठाकुर के साथ साथ गांव के और भी कई लोगो ने खुले दिल से सहयोग किया जो एक मिशाल है।