जिंदा वृद्धा को ग्राम पंचायत ने मृत घोषित किया, साल भर से दर दर भटक रही बेसहारा

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खुद को जिंदा साबित करने साल भर से गुहार लगा रही बेसहारा

जनपद टुडे, डिंडोरी, 23 फरवरी 2021, जिले में व्यवस्थाओ के नाम पर खुला तमाशा जारी है। आम आदमी और गरीबों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। जिले के जिम्मेदार आला अफसरों की संवेदनशीलता पर प्रश्न खड़े होने लगे है। न तो गैरजिम्मेदाराना हरकत करने वाले कर्मियों पर कोई कार्यवाही की जाती है न ही भूल सुधारने के लिए कोशिश की जाती है।

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ऐसा ही एक मामला जिले की करंजिया जनपद अन्तर्गत ग्राम सेनगुड़ा का है। इस ग्राम की बुजुर्ग महिला को लगभग सालभर पहले ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने मृत घोषित कर दिया जिसके कारण इस बेसहारा महिला को सभी शासकीय योजनाओं का लाभ मिलना बन्द हो गया और बिना किसी सहारे के बेबस महिला पिछले एक साल में दर्जनों बार ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत के चक्कर काटने के साथ साथ पुलिस थाने तक में अपनी शिकायत दर्ज करवा चुकी है। किन्तु आज तक उसकी समस्या का निदान नहीं हो पाया है न ही गलती करने वालों को दण्डित किया गया है।

पूर्व में इस परेशान बुजुर्ग महिला ने शिकायत जिला कलेक्टर से भी की थी किन्तु अफसोसजनक है कि जिला कलेक्टर द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की गई और बुजुर्ग महिला फिर अब फिर अपना आवेदन लेकर जनसुनवाई में पहुंची है। इस उम्मीद से की बड़े साहब उसकी छोटी सी समस्या का हल निकाल देंगे।

ग्राम सेनगुड़ा की बुजुर्ग महिला बिसाहिन बाई के पति का स्वर्गवास हो चुका है और संतान नहीं है। उसका नाम बीपीएल सूची में दर्ज था और उसे शासकीय दर पर खाद्य सामग्री मिलती थी और वृद्धा पेंशन भी मिला करती थी किन्तु सितंबर 2020 से सभी योजनाओं का लाभ मिलना बंद हो गया। तब उसके कारण पता करने पर उसे ज्ञात हुआ कि उसका नाम पंचायत ने मृत घोषित कर दिया है, जिससे उसे शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। उसके द्वारा अपनी फरियाद ग्राम पंचायत के सामने रखी गई किन्तु कोई सुनवाई नहीं की गई न ही इसकी वजह बताई जा रही है तब से परेशान महिला अपनी कठिनाई के हल के लिए भटक रही है।

सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे है

सरकार बड़े बड़े माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही युद्ध स्तर पर छेड़े हुए है और सुशासन के दावे किए जा रहे है। किन्तु जमीनी स्तर पर शासन का अमला ही गरीबों के साथ खुला अन्याय कर रहा है। गरीबों को न्याय पाने सालों भटकना पड़ता है। दाने दाने को मोहताज बेसहारा वृद्धा की जिले के अफसर भी कोई सहायता साल भर में नहीं कर पाए तब प्रदेश में सुशासन आखिर कब तक और कैसे जिंदा रह पाएगा?



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