बारिश न होने से किसान चिंतित, सूखे खेत नही रोप पा रहे धान

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इंद्रदेव को खुश करने कर रहे टोटके

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 31 जुलाई 2022, किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार है, बारिश न होने की वजह से जिले के किसान चिंतित है। अब बारिश के लिये टोटके का सहारा ले रहे है।किसानों का मानना है कि टोटका करने से संभावना है कि अच्छी बारिश होगी।

चांदरानी गांव के किसान रामू सिंह राजपूत, कामता सिंह, सन्जू ठाकुर ने बताया कि इस बार बारिश अच्छी नही हो रही है। लिहाजा खेत मे धान का रोपा तक नही लगा पा रहे है। खेत सूख रहे है, चांदरानी के अलावा भाजीटोला, मानिकपुर में बारिश नही हो रही है आस पास के गांव में बारिश होती है। बारिश न होने से सूखे के आसार नजर आने लगे है। खड़ी फसल खेत मे सूखने की कगार पर है।

बारिश के लिये टोटके का सहारा, बच्चों को मूसल रखकर गांव में घुमाया

अपने गांव में अच्छी बारिश के लिये चांदरानी गांव के किसानों ने छोटे छोटे बच्चों को मूसल कंधे में रखवाकर गांव में घुमाया जा रहा है। छप्पर में चढ़कर बच्चों के ऊपर पानी डाल रहे है। इसके बाद पूरे गांव के लोगो ने चावल दाल एकत्रित कर भोजन पकाया है और घर के बाहर खेत में सामूहिक भोजन कर रहे है। बतााा  जाता है कि इस दौरान मूसल में एक मेंढ़क बांधा जाता है जिसे हर घर में पानी डालकर लोग स्नान कराते है फिर उसे नदी या तालाब में छोड़ा दिया जाता है, इस दौरान बच्चे मिलकर आवाज लगाते हुए घूमते है – “मेंदो बाई पानी दे, धान कोदों पकन दे, लड़कन ल जियावन दे…”
किसानों को टोटके के बाद अच्छी बारिश की उम्मीद है। चांदरानी गांव के किसान सन्जू सिंह राजेश सिंह, रतन सिंह सहित सभी किसानों को यह टोटका करने और सामूहिक भोज करने के बाद उम्मीद जागी है कि इंद्र देव प्रसन्न होकर अच्छी बारिश करेंगे और हम फिर से अपने खेतों में जाकर धान की रोपाई कर सकेंगे।

गौरतलब है जिले में अत्यधिक वर्षा होने से धान की अच्छी पैदावार होती है और किसानों के लिए धान मुख्य फसल है। दिनों दिन बरसात कम होती जा रही है जिससे धान की उपज प्रभावित हो रही है। इस वर्ष तो शुरुआत से ही बरसात कम हुई है और लगभग पूरे जिले में धान की फसल प्रभावित हो चुकी है। ऐसी स्थिति में परेशान किसान और ग्रामीण पारंपरिक टोटकों का सहारा लेते है जिससे उन्हें बर्षा होने की उम्मीद होती है। जिले के अलग अलग क्षेत्र में कई प्रकार के टोटके प्रचलित है, जिसमें से एक यह है कि छोटे छोटे बच्चे मूसल लेकर पूरे गांव में घूमते है और लोग छप्पर से पानी डालते है जो मूसर पर गिरता है और फिर उसके नीचे नग्न होकर बच्चे नहाते है, इसके बाद इन बच्चों को सभी के सहयोग से सामूहिक भोज बना कर खिलाया जाता है।

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