
चावल में “काला” नागरिक आपूर्ति की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में
नागरिक आपूर्ति निगम की जांच प्रक्रिया पर खड़े होते सवाल
“नान” द्वारा जांच में पहले पास किया गया चावल बाद में कर दिया रिजल्ट
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 18 सितंबर 2020, जिले में व्याप्त भ्रष्ट अधिकारी कब क्या गुल खिला दे कुछ नहीं कहा जा सकता, और नियम कानून को ताक पर रखने वाले इन अधिकारियों के खिलाफ प्रभावित हुए लोग भी अपना पक्ष रखने और मुंह खोलने से भी भय खाते है यह सिर्फ आम ही नहीं बल्कि खास लोगों पर भी लागू होता नजर आता है।
इन दिनों ऐसा ही एक मामला नागरिक आपूर्ति निगम का सुर्खियों में है। बताया जाता है कि नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा जिले के राइस मिलरो से धान की मिलिंग करवाए जाने के बाद जो चावल गोदाम में आता है उसका परीक्षण विभाग के गुणवत्ता निरीक्षक द्वारा की जाती है, इसके बाद एफसीआई द्वारा नियुक्त क्यूसी इसका परीक्षण करता है और फिर इसका परीक्षण एफसीआई की टीम के द्वारा किया जाता है। जिले के मिलरो से प्राप्त चावल की भी इस प्रक्रिया से जांच हो गई और इनकी गुणवत्ता पर विभाग ने मुहर लगाते हुए इन मिल रो को धान के नए लॉट प्रदान कर दिए गए। इसके बाद प्रदेश में मचे हंगामे के साथ केंद्र से निरीक्षण दल प्रदेश के हर जिले में भेजे जाने और सैंपल लिए जाने की सूचना विभाग के अधिकारियों को मिली तो अचानक नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों द्वारा जिले के मिलरो से प्राप्त चावल अमानक घोषित कर दिया गया, पहले चावल को स्वीकार किया गया और इसकी जानकारी विभाग द्वारा ऑनलाइन भी अपलोड कर दी गई और फिर इसी चावल को अमानक घोषित करना पूरी प्रक्रिया पर संदेह पैदा करता है। मिलरो का चावल जो तीन प्रक्रियाओं में पास जो गया था उसे बिना किसी टीम के द्वारा परीक्षण किए कैसे निरस्त के दिया गया और क्यों ये सवाल खड़ा होता है। और अब इस चावल को गोदाम से उठाने के लिए मिलरो पर दबाव बनाया जा रहा है।
इस पूरे मामले में जिला प्रबंधक का कहना है कि एफसीआई की टीम ने चावल अमानक स्तर का पाया हैं। कार्यवाही बतौर गुणवत्ता निरीक्षक को उसकी गलती के चलते हटा हटाए जाने की भी कार्यवाही की गई है। हालांकि नागरिक आपूर्ति निगम का गड़बड़ियों से पुराना नाता रहा है और यहां तमाम शिकायतों के बाद भी न तो सुधार किया जाता है और न ही कार्यवाही किन्तु अब जब केंद्र की टीम द्वारा जांच टीम द्वारा सैंपलिंग हेतु आने की सूचना मिली और विभाग को अपने गले में फंदा लटकता नजर आया और पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा तब अपनी गर्दन बचाने के लिए नान के अधिकारियों ने पहले ही मीलर्स से प्राप्त चावल को अमानत घोषित कर दिया ।
दूसरी ओर मिलर्स का कहना है कि धान की क्वालिटी ठीक नहीं होने से मिलिग में दिक्कत आती है और टूटन का प्रतिशत अधिक रहता है। मिलरो का यह कहना भी यहां ठीक नजर आता है क्योंकि जिले में धान और गेहूं खरीदी केंद्रों की अव्यवस्था और उनके रखरखाव में लापरवाही के तमाम मामले प्रकाश में आते रहे है धान और गेहूं अव्यवस्थित रूप से रखा जाना और खराब होने की कई खबरे प्रकाश में आ चुकी है। पिछले सत्र में परिवहन ठेकेदार की लापरवाही के चलते कई केंद्रों पर धान के भीगने का और खराब होने का मामला भी चर्चाओं में रहा किन्तु विभाग द्वारा ट्रांसपोर्टर की गलतियों पर पर्दा डालते हुए उसके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई थी।
नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों के द्वारा आनन फानन ने की गई इस कार्यवाही से जिले के सभी मिलर प्रभावित हुए है और की गई कार्यवाही और भी कई सवाल खड़े करती है। सभी मिलर के सारे लाट जब रिजेक्ट थे तो विभाग ने पहले उन्हें स्वीकार कर उन मिलर को और लाट कैसे जारी कर दिए। ये सारे रिजेक्ट किए गए लाट तीन परीक्षणों में पास कैसे हो गए थे? इन मिलती से प्राप्त अमानक स्तर का कितना चावल इस बीच उपभोक्ताओं को वितरित किए जाने हेतु पीडीएस किया जा चुका था। विभाग द्वारा सतत चले वाली तीन जांच जिससे अभी तक जिले में चावल मिलरो से ले कर आम लोगो को वितरित किया जाता था उसको भी विभाग के इस निर्णय ने पूरी तरह से संदिग्ध घोषित जरूर कर दिया है।