सब इंजीनियर पवन पटेल और जनपद उपाध्यक्ष सुशील राय मिलकर डकार गए सप्लायर का पेमेंट, लगे आरोप

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जनसुनवाई में पहुंची शिकायत

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 12 अप्रैल 2022, ग्राम पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार सब इंजीनियरों की मिलीभगत से पनपे माफिया अब उन्हीं के लिए खतरा बन रहे है। जिसका उदाहरण आज जिला मुख्यालय में दिखाई दिया जहां जिले के तमाम सब इंजीनियर्स लामबंद हो कर जिला कलेक्टर और एसपी से सुरक्षा की गुहार लगाने पहुंचे। जुगदेई पंचायत सहित आसपास की पंचायतों में राजनीतिक संरक्षण और सब इंजीनियर्स की मेहरबानी से करोड़पति बन चुका माफिया अब इन्हीं को ब्लेक मेल कर और दबाव देकर फर्जी भुगतान करने के लिए धमकी दे रहा है।

इसी प्रकार के एक मामले को लेकर जनसुनवाई में अपनी शिकायत दर्ज करवाने पहुंचे अनूप कुमार धुर्वे पिता डॉ राम सिंह धुर्वे निवासी ग्राम डुगरिया ने बताया कि मेरे द्वारा पवन पटेल सब इंजीनियर के कहने पर चेक डैम निर्माण हेतु लगभग ₹580000 की निर्माण सामग्री जिसमें सीमेंट , गिट्टी, रेत ग्राम पंचायत कसाईसोडा में चेक डैम निर्माण हेतु आपूर्ति की गई थी। किन्तु मेरा भुगतान नहीं किया गया और सरपंच – सचिव राजेश परस्ते, सहायक सचिव संजय संत सब इंजीनियर पवन पटेल व जनपद उपाध्यक्ष सुशील राय ने मिलकर मेरे द्वारा दी गई निर्माण सामग्री का भुगतान मुझे न करके अपने व्यक्ति का बिल लगाकर राशि का आहरण कर लिया मेरे साथ ठगी की गई है।

पीड़ित ने उक्त संबंध में जांच करवा कर उचित कार्यवाही किए जाने का जिला कलेक्ट्रेट से निवेदन किया है। आवेदक के अनुसार उसकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हैं। इस कार्य के अलावा उसके जीवन यापन का अन्य कोई साधन नहीं हैं, अत मेरे द्वारा की गई सामग्री आपूर्ति की राशि दिलाने का कष्ठ करे। साथ ही सभी दोषियों पर कार्यवाही करने का कष्ट करे।

वरिष्ठ अधिकारियों की निष्क्रियता और नियमों से खिलवाड़ के चलते आ रही समस्या

जिला और जनपद के अधिकारियों की निष्क्रियता और शासन के नियमो की अनदेखी कर अपनाई जा रही कार्यप्रणाली से जिले में जहां माफिया हावी है वहीं पंचायत और सब इंजीनियरों की मनमर्जी चल रही है। पंचायतों द्वारा सामग्री की आपूर्ति हेतु निविदा बुलवाई जाती है पर आगे इन निविदाकारों की बजाय किसी से भी सामग्री का क्रय किया जाता है बस फर्जी निविदा प्रक्रिया अपना कर मूल्य निर्धारित कर लिए जाते है और इसके बाद इन निविदाओं का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता। इस तरह की कार्यप्रणाली मात्र दिखावा है और शासन कि मंशा के साथ खिलवाड़ जिसे सख्ती से लागू करवा कर भ्रष्टाचार और माफियाओं से बचाव किया जा सकता है।

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