पंचायतों में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा, दर्शन लाभ लेते जनपद के अधिकारी

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करंजिया सीईओ के पास नहीं है जवाब

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 26 मार्च 2021, जिले भर में पंचायती राज व्यवस्था के तहत संचालित ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का हाहाकार मचा हुआ है। जिसे नियंत्रित करने में शासन द्वारा नियुक्त शासकीय अधिकारी पूरी तरह से अक्षम साबित हो चुके हैं। नियमानुसार समय पर कार्यवाही न करने से नाराज ग्रामीण जब सड़कों पर उतर आते हैं, तब कहीं जाकर जिला और जनपद पंचायत के अधिकारियों की नींद खुलती है। जिले में मचे भ्रष्टाचार के हाहाकार से त्रस्त आमजन या तो सड़क पर मोर्चा खोले या फिर लोकायुक्त में शिकायत कर रिश्वतखोरों को रंगे हाथ पकड़वाने की कोशिश करे। जिला स्तर पर कार्यवाही होना अब आमजन को संभव नज़र नहीं आता। पंचायतों में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है और जनपद के जिम्मेदार केवल इसका दर्शन लाभ देते दिखाई देते है। अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों और शिकायतों पर मौन धारण किए हुए हैं। इसके पीछे भी बड़ी वजह है जिसे हर आम और खास जानता हैं।

करंजिया जनपद सीईओ के पास नहीं जवाब

जिले की जनपद पंचायत करंजिया में पदस्थ सीईओ अशोक सावनेर तो भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर जवाब देने ही तैयार नहीं है। आज जब उनसे ग्राम पंचायत उमरिया और ठाड़पत्थरा़ के ग्राम सचिव बहादुर सिंह बट्टी द्वारा अपनी पत्नी के नाम से लगभग एक करोड़ रुपए के भुगतान मैटेरियल सप्लाई के नाम पर किए जाने। रद्द जीएसटी पंजीयन का उपयोग कर बेंडर आईडी बनवाने, और करंजिया जनपद पंचायत की पंचायतों से सेटलमेंट योजना में हुए भ्रष्टाचार की राशि की रिकवरी की स्थिति जानना चाही तो उनका कहना था, पंचायत साहब से पूछो वे देगे पूरी जानकारी। जनपद के जिम्मेदार अधिकारी के पास जवाब नहीं है।

बाबू बीमार हुआ तो जनपद भी बीमार हो गई

पंचायत अधिकारी, रोशन कुमार पनिका का कहना है सेटलमेंट योजना में गड़बड़ी और उसकी रिकवरी का मामला पुराना है। इसकी जानकारी देखना पड़ेगी। बाबू बीमार है जब आएगा तब फाइल देखकर बता पाऊंगा।

उमरिया सचिव के मामले में कोई जांच अथवा कार्यवाही का सीईओ साहब से मुझे कोई निर्देश अब तक नहीं मिला है‌। शासकीय कार्यालयों के ये हाल है बाबू की बीमारी के बहाने रोज पता नहीं कितने गरीब ग्रामीणों को बिना काम हुए वापस जाना पड़ता होगा?

खुलेआम चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों में जनपद के जिम्मेदार जांच तक करना जरूरी नहीं समझते इनके विरुद्ध कार्यवाही तो दूर की बात है। इन मामलों पर जवाब देने तक तैयार नहीं है अधिकारी। बाबू के बीमार होने से जनपद का सिस्टम ही बीमार हो जाता है। जिन कार्यालयों में मीडिया से जुड़े व्यक्तियों को जवाब नहीं मिल रहा वहां कैसे उम्मीद की जा सकती है की अशिक्षित, गरीब और ग्रामीणजनों से जनपद पंचायत के अधिकारी और बाबू बात करते होंगे उनकी शिकायतें सुनते होंगे कार्यवाही करते होंगे?

सुशासन ले रहा अंतिम सांसे

प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश में जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और सुशासन की बातें भले ही गला फाड़ फाड़ कर कर रहे हों किंतु ग्रामवासियों के लिए सर्वाधिक महत्व रखने वाली ग्राम व जनपद पंचायतों में सुशासन अंतिम सांसे लेता दिखाई दे रहा है। ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार, गड़बड़ियों और अनियमितताओं को जैसे जिले में वैधानिक जामा पहना दिया गया हो, ऐसा महसूस हो रहा है। शासकीय योजना में गड़बड़ी प्रमाणित होने के बाद भी रिकवरी नहीं की जा रही है। करोड़ों की राशि डकारने वाले सचिवों की जांच तक करवाना जिम्मेदार जरूरी नहीं समझते। अधिकारियों की इसी तरह की कार्यप्रणाली और बन्द आंख और कान के चलते जिले में भ्रष्टाचार को संरक्षित किया जा रहा है आमजन, ग्रामीण परेशान है अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है।

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