श्रीराधा-कृष्ण मंदिर की पुरानी समिति और पुराना ट्रस्ट ही करेगा मंदिर की व्यवस्था

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जनपथ टुडे, डिंडौरी, 5 सितम्बर 2020, नगर के वार्ड नंबर 8 स्थित श्रीराधा-कृष्ण मंदिर की 35 वर्ष पुरानी समिति जो कि मन्दिर के निर्माणकर्ता और सर्वराहकार पंडित सुखदेन प्रसाद नायक के द्वारा बनाई गई थी, उस समिति के सदस्यों ने कल एक प्रेसवार्ता कर जनहित में मन्दिर से संबंधित सभी तत्थ और जानकारी को सार्वजनिक करते हुए शहर में फैलाई जा रही भ्रम की स्थिति और गठित की गई एक नई कमेटी के औचित्य पर सवाल करते हुए अपनी बात रखी।

मन्दिर की देख-रेख पुरानी स्थायी समिति ही करेगी

मंदिर की समिति पिछले 35 वर्षों से लगातार मंदिर की देखरेख और प्रगति के कार्य पर जुटी हुई है। पुरानी समिति के सदस्यों ने सार्वजानिक तौर पर बताया कि मंदिर के संरक्षण और विकास के लिए समिति ने कभी भी नगरवासियों से कोई चंदा नहीं लिया है, मंदिर की संपत्ति से ही अर्जित राशि को संरक्षित कर उसका सदुपयोग करते हुए समिति के सदस्यों ने निःस्वार्थ भाव से मन्दिर के हित में प्रयास किया है। मंदिर के कर्ताधर्ता स्व. पंडित सुखदेन प्रसाद नायक थे, मंदिर की देखरेख के लिए अपनी मृत्यु से पहले पंडित सुखदेन जी ने नगर के प्रतिष्ठित नागरिकों की सर्वमान्य समिति बनाई थी, जिसमें शांति कुमार कनौजे को मुखिया, विजय नायक को सचिव और बद्रीप्रसाद बिलैया को कोषाध्यक्ष बनाया था रामजी लाल शर्मा और चंद्रिका प्रसाद मिश्र को सदस्य बनाया था। यह समिति निर्विवाद रूप से 35 साल से लगातार मंदिर के विकास में सक्रिय है। इस समिति के गठन के समय पर मन्दिर के कोष में कोई भी राशि नहीं थी उस समय बीमारी की हालत में पंडित सुखसेन प्रसाद नायक ने अपने अंतिम समय में अपने धन से इस समिति की देख रेख में इस मन्दिर का निर्माण करवाया था।

मंदिर की आय 45 हजार रुपए प्रतिमाह

स्थायी सदस्यों ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व मंदिर की संपत्ति जो की मन्दिर को दान में प्राप्त भूमि पर कुछ दुकानें बनवाकर मंदिर के लिए स्थायी आय की व्यवस्था की गई है, जिससे वर्तमान में मंदिर की आय 45 हजार रुपए प्रतिमाह है। नर्मदा गंज में एक रहवासी मकान भी है, जिसका किराया मंदिर को मिल रहा है। निर्माण कार्य में आए खर्च के लिए मंदिर के स्थायी सदस्यों ने कभी आमजन से चंदा नहीं लिया। समिति के सदस्यों ने बताया कि निर्माण कार्य का पूरा लेखा-जोखा समिति के पास सुरक्षित है और लंबे अरसे से समिति के सदस्यों के कठिन प्रयासों के चलते दान की भूमि को आज कीमती संपत्ति के रूप में देखा जा रहा है, जिले के विकास के साथ इस संपत्ति की कीमत बढ़ जाने से लोगों में यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि मन्दिर के पास करोड़ों की संपत्ति है, जबकि इन दुकानों के पूर्व यहां जो भूमि थी वहां कुछ दुकानें थी और उनका किराया भी बहुत कम समिति को मिला करता था और फिर ये दुकानें उन्हीं दुकानदारों से पगड़ी स्वरूप राशि लेकर निर्मित करवाई गई थी।

पुरानी समिति के सदस्यों ने कहा कि बदलते समय के साथ मंदिर की संपत्ति को देख लोगों की सोच बदलने लगी। स्थायी समिति सदस्यों ने नगरवासियों की मांग पर समर्थन देते हुए जैसे ही मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना बनाई, वैसे ही कुछ अतिमहत्वाकांक्षी लोग जिनका इस समिति से न तो कभी कोई संबंध रहा न कभी वे मन्दिर के आयोजन में या अन्य किसी कार्य में सक्रिय रहे, इस पर अधिकार जमाने की कोशिश करने लगे। उन्होंने पुरानी व स्थायी समिति के कार्य में अवरोध पैदा करने की सोच के साथ जनमानस को गुमराह करने की कोशिश की है। मंदिर जीर्णोद्धार के नाम पर लोगों को एकत्रित कर मंदिर निर्माण की मांग को दरकिनार कर असंवैधानिक तरीके से नई समिति गठन का असफल प्रयास किया है।

गौरतलब है कि समिति का विघटन, चुनाव और नई समिति का गठन समिति के विधान के अनुसार समिति के सदस्यों द्वारा किया जाता है या फिर किसी कानूनी स्थिति में समिति प्रशासनिक या कानून के दायरे में भंग की जा सकती है। समिति के जो सदस्य है वे ही विधान के अनुसार नई समिति गठित कर सकते है।

मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है

पुरानी व स्थायी समिति के सदस्यों ने बताया कि श्रीराधा-कृष्ण मंदिर के भव्य निर्माण का विचार समिति में चल रहा है। निर्माण संबंधी विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही मंदिर को नया रूप दिये जाने की कोशिश की जावेगी। स्थायी समिति का मानना है कि मंदिर निर्माण बार-बार संभव नही है, इसलिए नए मंदिर का निर्माण भव्य होना चाहिए। अनुभवी आर्किटेक्ट के मार्गदर्शन में मंदिर काे नया और आकर्षक स्वरूप प्रदान किया जाएगा।

 

मंदिर की संपत्ति का नहीं होने देंगे दुरुपयोग

समिति का कहना है कि हम मंदिर की संपत्ति का दुरुपयोग नहीं होने देंगे। इसमें नागरिक भी सहयोग कर सकते हैं। 1985 से अब तक जिस प्रकार निर्विवाद रहकर समिति ने काम किया है, वैसे ही आगे भी करेगी। कुछ दिन पहले असंवैधानिक तरीके से मंदिर समिति के गठन का असफल प्रयास और लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई है जो नैतिकता के खिलाफ है। मंदिर संबधी समस्त अधिकार पुरानी व स्थायी समिति सदस्यों के पास सुरक्षित है।

गौरतलब है कि विगत कुछ दिनों से नगर में मन्दिर को लेकर विवाद की स्थितियां निर्मित रही है, लगातार मन्दिर में बैठक कर पुरानी समिति से मन्दिर का संचालन लिए जाने की बाते हो रही थी पुरानी समिति पर काफी सारे आरोप भी लगाए गए जिससे आमजन पुरानी समिति के सदस्यों से नाराज़ भी था और बैठक में पुरानी समिति के सदस्यों से पूरी जानकारी और हिसाब किताब सार्वजानिक किए जाने की मांग की जाती रही जिस पर समिति का कहना था कि भीड़भाड़ के बीच जहां लोगों के बीच भ्रम फैलाकर विवाद की स्थितियां निर्मित की जा चुकी है वहां कोई किसी की सुनने तैयार नहीं है और यदि लोगों को लगता है कि कुछ गड़बड़ी है तो एक प्रतिनिधि मंडल निर्धारित कर पांच या ग्यारह लोग सारी जानकारी ले ले और जो भी चर्चा करना चाहे वह की जा सकती है किन्तु इस पर लोग सहमत नहीं थे । समिति के वरिष्ठ सदस्य बैठक में अपनी बात रखने और जनभावना को समझने गए भी थे किन्तु वहा लोगो ने विवाद करने और अपमानित करने का प्रयास किया। पुरानी समिति के सदस्यों ने मन्दिर के साथ ही निर्मित मानस भवन के निर्माण इसके अलावा जिस भूमि पर दुकानें निर्मित है उसकी जानकारी देते हुए बताया कि उक्त भूमि दान करने वाली झिकिया बाई की मृत्यु के उपरांत उसके पति द्वारा भूमि पर अपना दावा किया जाता रहा है जिस पर लंबी कानूनी लड़ाई पंडित सुखदेन प्रसाद नायक जी अपने संसाधनों से लड़ते रहे और फैसला उनके पक्ष में आने के बाद उन्होंने बिना किसी सार्वजनिक सहयोग के खुद मन्दिर का निर्माण आमलोगों के लिए करवाया था।

पुरानी समिति ने नगर के लोगों से अनुरोध किया है कि धार्मिक महत्व के स्थल को नगर में विवाद का मुद्दा बनाया जाना उचित नहीं है, मन्दिर के निर्माण और व्यवस्थाओं के लिए समिति सतत प्रयासरत है आमजन यदि मन्दिर निर्माण में सहयोग करना चाहते है तो उनके सहयोग से शीघ मन्दिर का निर्माण और भी आसानी से संभव होगा।

प्रेसवार्ता में समिति के अध्यक्ष श्री शांति कुमार कनोजे, अनिल नायक और बद्री प्रसाद बिलैया उपस्थित थे उन्होंने साफ किया है कि मन्दिर की सम्पत्ति पूरी तरह सुरक्षित है उसमे कोई हानि नहीं हुई है बल्कि बढ़ोत्तरी हुई है मन्दिर की आय भी बढ़ी है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं की गई है, किसी तरह का दान और चंदा लोगो से नहीं लिया जाता मन्दिर में आने वाले चड़ावे पर पुजारी का ही अधिकार होता है। मन्दिर का निर्माण किया जावेगा उस पर समिति विचार कर रही है अभी भव्य मन्दिर निर्माण के लिए आवश्यक धन राशि की नहीं है। समिति के पास जितनी राशि है उससे मंदिर का पूर्ण निर्माण संभव नहीं है आगे इसकी रूपरेखा तैयार कर विवेकपूर्ण निर्णय लिया जावेगा और मन्दिर का निर्माण किया जावेगा किन्तु विवाद उत्पन्न कर या दबाव बना कर मन्दिर की पूर्व समिति पर मनगढ़ंत आरोप लगा कर मन्दिर की पुरानी समिति को समाप्त किए जाने, नई समिति बनाए जाने जैसी बातें न तो उचित है न वैधानिक है। पुरानी समिति पर बिना किसी सबूत  के आरोप लगाए जा रहे है वे भी न तो प्रमाणित है न ही साबित। एक सूत्रीय पुरानी समिति को हटाने की मांग के पीछे कुछ लोगों का निजी स्वार्थ, अहम और राजनीतिक प्रयास है जिसे लोग समझ भी रहे है किन्तु इस तरह मन्दिर के विषय को विवादित कर सड़क पर लाने की चेष्ठा की जा रही है जो निंदनीय है। लोगों को संयम के साथ नियम और कानून के अनुसार कार्यवाही की जानी चाहिए।

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