किसकी बनेगी “नगर सरकार” ??

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भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 28 सितंबर 2022, जनता से मिल रहे रुझान और जनचर्चाओं के आधार पर 27 सितंबर को सम्पन्न हुए डिंडोरी नगर परिषद चुनाव में मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। कुछ वार्डो में मुकाबला बराबरी पर है तो कुछ वार्डो में भाजपा के वहीं कुछ वार्डो में कांग्रेस के प्रत्याशी बहुत कमजोर माने जा रहे है।
बीजेपी के लिए वार्ड क्रमांक 4, 5, 9, 11, 14 और 15 में जीत की अधिक संभावनाएं बताई जा रही है। वहीं वार्ड क्रमांक 2, 6, 8, 10, 12 और 13 कांग्रेस के पक्ष में जा सकते है।
वार्ड क्रमांक 3 और 7 में भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशियों को अन्य प्रत्याशी पछाड़ सकते है या फिर जीत हार का गणित बदल सकते है। हालाकि निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत के आसार कम है।

वार्ड क्रमांक 2 और 13 में भाजपा, 9 में कांग्रेस का प्रत्याशी कमजोर स्थिति में बताया जा रहा है। वहीं वार्ड 1 में निर्दलीय, वार्ड 3 ने आम आदमी पार्टी और वार्ड 7 और 9 में निर्दलीय प्रत्याशी उलटफेर करने की स्थिति में हो सकते है। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच काटे का मुकाबला वार्ड क्रमांक 1, 6, 10, और 15 में बताया जाता है। संपन्न हुए चुनाव और मतदान के आधार पर इस तरह के रुझान मिल रहे है जिनमें उलटफेर की भी संभावना है।

भाजपा और कांग्रेस ओवर आल 15 वार्डो में बराबर की स्थिति में है। दोनों पार्टियों के प्रत्याशी 6 – 6 वार्डो में जीत के करीब है। शेष वार्ड क्रमांक 1, 3 और 7 में से जिसके 2 प्रत्यासी चुनाव जीतेगे वह दल परिषद पर कब्जा करने में सफल होगा।

प्राप्त हो रहे रुझानों के अनुसार पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार कांग्रेस खासी बढ़त बनाते हुए दिख रही है और नगर परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने का आंकड़ा कांग्रेस छु सकती है। वहीं भाजपा के पक्ष में भी यह स्थिति बनना संभव है, जनता के रुझान और मतदान की वास्तविक स्थिति में अंतर होने की संभावना है। ऐसे में दोनों दल के लिए परिषद में कब्ज़ा होने की संभावना बनती है। लोगों का आकलन है कि एक या दो वार्डो में निर्दलीय या अन्य दल के प्रत्याशी चमत्कार दिखा सकते है पर वास्तव में जीत तक पहुंचने लायक जमीन किसी की नहीं दिखाई दे रही है, तब चुनाव है और यहां सब कुछ मतदाताओं के हाथ में है और वो कुछ भी कमाल कर सकता है तब तक पूरी तरह सटीक निर्णय नहीं बताया जा सकता जब तक ईवीएम की अपना डाटा न उगल दे।

क्या कहते है जानकर ?

जिले की राजनीति पर नजर रखने, आंकलन करने और राजनैतिक अनुभव रखने वालो की माने तो यह चुनाव भाजपा संगठन कमजोरी से लड़ा, कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर नहीं रहा और कई वार्डों में संगठन ने पूर्व जनसंपर्क में पूरा जोर नहीं लगाया। वहीं कांग्रेस में इस बार काफी हद तक गुटबाजी पर विराम लगा रहा वहीं कम होते हुए कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर पर प्रयास किए और पार्टी के भीतर कोई विरोधाभास आम नहीं हुआ, जिसका लाभ पार्टी प्रत्यशियों को मिल सकता है।

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